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🚩 जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा: भगवान की सवारी का सबसे बड़ा त्योहार



🚩 जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा: भगवान की सवारी का सबसे बड़ा त्योहार

हर साल ओडिशा के पुरी शहर में लाखों लोग एक साथ भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा में शामिल होते हैं। यह भारत का बहुत पुराना और मशहूर धार्मिक त्योहार है, जिसमें भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की रथ पर सवारी निकाली जाती है।



🙏 रथ यात्रा क्या होती है?

रथ यात्रा एक खास दिन होती है जब भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा अपने मंदिर से निकलकर 3 किलोमीटर दूर "गुंडिचा मंदिर" जाते हैं। यह यात्रा हर साल जून या जुलाई में होती है और 9 दिनों तक चलती है।

इस यात्रा का मतलब है कि भगवान कुछ दिनों के लिए अपने भक्तों के बीच आते हैं, ताकि सभी लोग उन्हें देख सकें और उनका आशीर्वाद पा सकें।

🚩 तीनों भगवानों के रथ

भगवानों के लिए हर साल नए रथ लकड़ी से बनाए जाते हैं। हर रथ का रंग और आकार अलग होता है:

  • भगवान जगन्नाथ का रथ – नाम: नंदीघोष, रंग: लाल-पीला, 16 पहिए

  • भगवान बलभद्र का रथ – नाम: तलध्वज, रंग: हरा-लाल, 14 पहिए

  • देवी सुभद्रा का रथ – नाम: दर्पदलन, रंग: काला-लाल, 12 पहिए

इन रथों को हजारों लोग मिलकर रस्सियों से खींचते हैं। यह काम करना बहुत ही शुभ माना जाता है।



🥁 यात्रा कैसे होती है?

  • पहले भगवानों को रथ तक लाया जाता है, जिसे "पहांडी" कहा जाता है। ढोल-नगाड़ों के साथ लोग नाचते-गाते हैं।

  • इसके बाद पुरी के राजा खुद झाड़ू लगाकर रथों की सफाई करते हैं। इसे "छेरा पहरा" कहते हैं। यह दिखाता है कि भगवान के सामने सब बराबर हैं।

  • फिर रथों को भक्त खींचते हैं और भगवान की यात्रा शुरू होती है। यह नज़ारा बहुत ही भावुक और सुंदर होता है।

🌍 विदेशों में भी मनाया जाता है

पुरी की रथ यात्रा इतनी प्रसिद्ध है कि अब दुनिया के कई देशों में भी मनाई जाती है। जैसे लंदन, अमेरिका, रूस और अफ्रीका के देशों में भी लोग भगवान जगन्नाथ की यात्रा निकालते हैं।

💫 रथ यात्रा क्यों खास है?

  • इसमें सभी लोग एक जैसे बन जाते हैं – कोई अमीर-गरीब या ऊँच-नीच नहीं होता।

  • भगवान खुद भक्तों के पास आते हैं। मंदिर जाने की ज़रूरत नहीं होती।

  • हर साल नए रथ बनते हैं, जो हमें सिखाते हैं कि कुछ भी हमेशा नहीं रहता, सब कुछ बदलता रहता है।



📅 रथ यात्रा 2025 की जानकारी

  • रथ यात्रा की तारीख: 29 जून 2025

  • बहुदा यात्रा (भगवान की वापसी): 6 जुलाई 2025

  • मुख्य कार्यक्रम:

    • पहांडी (भगवान की रथ तक यात्रा)

    • छेरा पहरा (पुरी राजा की झाड़ू सेवा)

    • गुंडिचा मंदिर दर्शन

    • सुनाबेसा (भगवान का राजसी रूप)

सरकार ने इस साल यात्रियों के लिए ऑनलाइन दर्शन, साफ-सफाई और सुरक्षा के अच्छे इंतज़ाम किए हैं।


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